मशरूम की खेती: मशरूम उगाकर किसान अपनी आय दोगुनी ही नहीं चार गुनी कर सकते हैं

मशरूम एक उत्पाद है, जिसे एक कमरे में भी उगाया जा सकता है, इसको उगाकर किसान अपनी आय दोगुनी ही नहीं चार गुनी कर सकते हैं…

मशरूम की खेती सहारनपुर। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है, जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से अभी इसका उत्पादन नहीं हो रहा है, ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। पिछले कई वर्षों से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दे रहे कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी व मशरूम विशेषज्ञ डॉ. आईके कुशवाहा बताते हैं, “तीन तरह के मशरूम का उत्पादन होता है, अभी सितम्बर महीने से 15 नवंबर तक ढ़िगरी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं, इसके बाद आप बटन मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं, फरवरी-मार्च तक ये फसल चलती है, इसके बाद मिल्की मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं जो जून जुलाई तक चलता है। इस तरह आप साल भर मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं।”

तीन तरह के मशरूम की कर सकते हैं

1. बटन मशरूम

2. ढिंगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरुम)

3. दूधिया मशरूम (मिल्की)

मशरूम की खेती

ऑयस्टर मशरुम मशरूम उगाने की पूरी जानकारी.. डॉ. आईके कुशवाहा बताते हैं, “ऑयस्टर मशरूम की खेती बड़ी आसान और सस्ती है। इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण भी अधिक होते हैं। दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई एवं चेन्नई जैसे महानगरों में इसकी बड़ी माँग है। इसीलिये विगत तीन वर्षों में इसके उत्पादन में 10 गुना वृद्धि हुई है। तमिलनाडु और उड़ीसा में तो यह गाँव-गाँव में बिकता है। कर्नाटक राज्य में भी इसकी खपत काफी है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में भी ओईस्टर मशरूम की कृषि लोकप्रिय हो रही है।

ऑयस्टर की खेती के बारे में कहते हैं, “स्पॉन (बीज) के जरिए मशरूम की खेती की जाती है, इसके लिए सात दिन पहले ही मशरूम के स्पॉन (बीज) लें, ये नहीं की एक महीने मशरूम का स्पान लेकर रख लें, इससे बीज खराब होने लगते हैं। इसके उत्पादन के लिए

मशरूम की खेती

भूसा, पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन और स्पॉन (बीज) की जरूरत होती है। दस किलो भूसे के लिए एक किलो स्पॉन की जरूरत होती है, इसके लिए पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन, की जरूरत होती है।”

मशरूम की खेती ऐसे करें शुरूआत..

दस किलो भूसे को 100 लीटर पानी में भिगोया जाता है, इसके लिए 150 मिली. फार्मलिन, सात ग्राम कॉर्बेंडाजिन को पानी में घोलकर इसमें दस किलो भूसा डुबोकर उसका शोधन किया जाता है। भूसा भिगोने के बाद लगभग बारह घंटे यानि अगर सुबह फैलाते हैं तो शाम को और शाम को फैलाते हैं तो सुबह निकाल लें, इसके बाद भूसे को किसी जालीदार बैग में भरकर या फिर चारपाई पर फैला देते हैं, जिससे अतिरिक्त पानी निकल जाता है।

मशरूम की खेती

इसके बाद एक किलो सूखे भूसे को एक बैग में भरा जाता है, एक बैग में तीन लेयर लगानी होती है, एक लेयर लगाने के बाद उसमें स्पॉन की किनारे-किनारे रखकर उसपर फिर भूसा रखा जाता है, इस तरह से एक बैग में तीन लेयर लगानी होती है।

मशरूम की खेती पंद्रह दिनों में मिलने लगेगा ऑयस्टर

बैग में स्पॉन लगाने के बाद पंद्रह दिनों में इसमें ऑयस्टर की सफेद-सफेद खूटियां निकलने लगती हैं, ये मशरूम बैग में चारों तरफ निकलने लगता है। इस मशरूम में सबसे अच्छी बात होती है इसे किसान सुखाकर भी बेच सकते हैं, इसका स्वाद भी तीनों मशरूम में सबसे बेहतर होता है।

बटन मशरूम की खेती

बटन मशरूम निम्न तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है। लेकिन अब ग्रीन हाउस तकनीक द्वारा यह हर जगह उगाया जा सकता है। सरकार द्वारा बटन मशरूम की खेती के प्रचार-प्रसार को भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अब इसका उत्पादन 20 किग्रा. प्रति वर्गमीटर से अधिक है दस पहले तक प्रति वर्ग मीटर मात्र तीन किलो ही था। उत्तर प्रदेश में इसका अच्छा उत्पादन हो रहा है।”

बटन मशरूम की बीजाई या स्‍पानिंग

मशरूम के बीज को स्‍पान कहतें हैं। बीज की गुणवत्‍ता का उत्‍पादन पर बहुत असर होता है, इसलिए खुम्‍बी का बीज या स्‍पान अच्‍छी भरोसेमंद दुकान से ही लेना चाहिए। बीज एक माह से अधिक पुराना भी नही होना चाहिए।

बीज की मात्रा कम्‍पोस्‍ट खाद के वजन के 2-2.5 प्रतिशत के बराबर लें। बीज को पेटी में भरी कम्‍पोस्‍ट पर बिखेर दें तथा उस पर 2 से तीन सेमी मोटी कम्‍पोस्‍ट की एक परत और चढ़ा दें। अथवा पहले पेटी में कम्‍पोस्‍ट की तीन इंच मोटी परत लगाऐं और उसपर बीज की आधी मात्रा बिखेर दे। उस पर फिर से तीन इंच मोटी कम्‍पोस्‍ट की परत बिछा दें और बाकी बचे बीज उस पर बिखेर दें। इस पर कम्‍पोस्‍ट की एक पतली परत और बिछा दें।

मशरूम की खेती

बुवाई के बाद पेटी या थैलियों को वहां रख दें, हां पर उत्पादन करना हो। इन पर पुराने अखबार बिछाकर पानी से भिगो दें। कमरे में पर्याप्‍त नमी बनाने के लिए कमरे के फर्श व दीवारों पर भी पानी छिड़कते रहें। इस समय कमरे का तापमान 22 से 26 डिग्री सेंन्‍टीग्रेड और नमी 80 से 85 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए। अगले 15 से 20 दिनों में खुम्‍बी का कवक जाल पूरी तरह से कम्‍पोस्‍ट में फैल जाएगा। इन दिनों खुम्‍बी को ताजा हवा नही चाहिए इसलिए कमरे को बंद ही रखें।

किसानों की हो रही अच्छी कमाई

सहारनपुर जिले के रामपुर मनिहार ब्लॉक के मदनूकी गाँव में दर्जन से अधिक किसान मशरूम की खेती करने लगे हैं। मदनूकी गाँव के किसान सत्यवीर सिंह ने 2009 में कृषि विज्ञान केंद्र की सहायता से उन्होंने मशरूम की खेती की शुरूआत की। वो बताते हैं, “साल 2009 में मैंने मशरूम की खेती तीस कुंतल कंम्पोस्ट के एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर शूरू की थी। आज मैं साल में लगभग 6000 बैग्स में बटन मशरूम लगाता हूं, और आठ हजार बैग आयस्टर मशरूम के लगता हूं। वो आगे बताते हैं, “शुरू में मुझे परेशानी हुई थी, लेकिन केवीके वैज्ञानिक कुशवाहा जी से मैंने प्रशिक्षण लिया था और अब भी वो हमारी पूरी सहायता करते हैं। समय-समय पर वो आकर हमें बताते रहते हैं कि कैसे मशरूम की खेती को रोगों से बचाए, कैसे कम्पोस्ट बनाए ये सब जानकारी देते रहते हैं।

मशरूम की खेती FAQ-:

मशरूम फार्मिंग कैसे करें?

इसके लिए कम से कम 6 बाय 6 की जगह चाहिए. ध्यान रखें जगह ऐसी हो जहां सूरज की रोशनी ना पहुंचती हो, अन्यथा मशरूम का पौधा खराब हो जाएगा. उसके बाद आपको पानी में भीगा हुआ भूसा तैयार करना होगा. भूसा तैयार होने के बाद आपको पॉलिथीन में उचित मात्रा में भूसे और मशरूम बीज को ऐसे बांध कर रखना है जिससे हवा किसी तरह से पास ना हो सके

मशरूम की खेती कौन से महीने में होती है?

उत्तरी भारत में सफेद बटन मशरुम की मौसमी खेती करने के लिए अक्तूबर से मार्च तक का समय उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान मशरूम की दो फसलें ली जा सकती हैं। बटन मशरूम की खेती के लिए अनुकूल तापमान 15-22 डिग्री सेंटीग्रेट एवं सापेक्षित आद्रता 80-90 प्रतिशत होनी चाहिए।

मशरूम का बीज कितने रुपए किलो मिलता है?

 बीज की कीमत लगभग 75 रुपए प्रति किलोग्राम होती है, जो कि ब्रांड और किस्म के अनुसार बदलती रहती 

सबसे अच्छा मशरूम कौन सा है?

हिमालय की घाटियों और जंगलों में उगता है दुनिया का सबसे महंगा मशरूम और देश की सबसे महंगी सब्ज़ी, गुच्छी या स्पंज मशरूम. ये सब्ज़ी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर के बर्फ़ीले इलाकों में पाई जाती है.

Leave a Comment